अब प्याज देगा किसानों के चेहरे पर मुस्कान, संरक्षण का बेहतर मॉडल तैयार






प्याज की वजह से आंसू बहाने वाले किसानों के दर्द को कम करने के लिए एक प्रोफेसर ने प्याज संरक्षण का उम्दा मॉडल ईजाद किया है। इससे अब किसान प्याज के आंसू नहीं रोएगा और उसके चेहरे पर बेहतर फसल की मुस्कान दिखेगी। कानपुर के चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) ने प्याज संरक्षण का मॉडल विकसित किया है जो चार से पांच महीने तक प्याज को सुरक्षित रखने में कारगर है।
















सीएसए के शाक भाजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एके दुबे ने एक साल के अनुसंधान के बाद यह मॉडल बनाया है। प्याज की दो प्रजाति 'कल्याणपुर लाल गोल' व 'एग्री फाउंड लाइटवेट' पर इसका परीक्षण सफल पाए जाने के बाद अब यह मॉडल किसानों के खेतों तक पहुंचाने की तैयारी में है। सीएसए के शाक भाजी विभाग में प्याज संरक्षण मॉडल का प्रशिक्षण देने के लिए कानपुर देहात, इटावा, औरैया, फतेहपुर, फर्रुखाबाद व कन्नौज समेत आस-पास के क्षेत्रों के किसानों को जून या जुलाई माह में आमंत्रित किया जाएगा। इस साल ज्यादा से ज्यादा किसानों को प्रशिक्षित करने की योजना बनाई जा रही है।


प्रोफेसर एके दुबे ने बताया कि प्याज की खुदाई करने के बाद उसकी अच्छी प्रकार से सफाई करके उसका भंडारण किया जाता है। प्लास्टिक की डलिया में रखकर उसे भंडारण गृह में रखा जाता है। इन डलियों की क्षमता 20 से 22 किलोग्राम होती है। तेज धूप में प्याज सूख जाता है जबकि नमी अधिक होने पर यह सड़ने लगता है। यह भंडारण गृह इस प्रकार से बनाया गया है जिसमें तल अथवा फर्श के अलावा चारों ओर से हवा का वेंटिलेशन रहता है। बाहर का तापमान चाहें जितना अधिक हो, अंदर उसका कोई फर्क नहीं पड़ता है। किसानों को इस मॉडल से लाभ होगा। प्याज की पैदावार के दौरान उसका जो मूल्य होता है चार माह बाद वह ढाई से तीन गुना बढ़ जाता है। संरक्षण के बाद किसान उसे बाद में भी बेच सकेंगे।